Friday, June 6, 2008

तुम्हारा अंदाज़ मेरे ख्याल से मिलेगा कब ?


तुम भी जी रहे थे अपने अंदाज़ में

मैं भी था खोया खोया अपने ख्याल में

तुम भी खुश थे

मैं भी खुश था

लेकिन शायद कहीं कोई कमी थी

एक दिन अचानक तुम मिले

तुम्हारा अंदाज़ बदला

और मेरे ख्यालों में भी कोई बसने लगा

धीरे-धीरे किसी 'कमी' का अहसास बहुत शिद्दत से बढ़ा

मेरे ख्यालों में अब सिर्फ तुम थे

और तुम्हारा भी अंदाज़ सिर्फ मुझे बयां करने लगा

गोकि, हम एक हो गए

एक-दूजे के लिए हो गए

मगर वक्त ने फ़िर करवट बदली

और तुम देख रहे हो

मैं अब और गहरे ख्यालों में गुम हूं

तुम्हारी चमकती पेशानी और पैरों की रुनझुन

गवाह है तुम्हारे नए अंदाज़ का

वो 'कमी' जो कभी हमें पास लाई थी

कितनी गहरी और स्याह हो गई है अब

सोचता हूं, ये वक्त फ़िर करवट लेगा ?

तुम्हारा अंदाज़ मेरे ख्याल से मिलेगा कब ?

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