Wednesday, June 11, 2008

अपने नाम का ख्याल रखिएगा !



कितने रंगों में ढली है

फूल सी, लगती कली है

तितलियों सी घूमती है

नाम तो देखो मगर...


चेहरा मानो दुपहरी है

ज़ुल्फ़ है या शब घिरी है

लब के शोलों की लड़ी है

नाम तो देखो मगर...


हर अदा में बिजली सी है

बातें जैसे कतरनी है

नज़रों में शम्मा जली है

नाम तो देखो मगर...


हंसी उसकी बे-दिली है

करती हरपल दिल्लगी है

क्या बला की कारीगरी है

नाम तो देखो मगर...


है सही पर कैसे कह दूं

नाम में रखा है क्या

संग मेरे अब माहज़बीं का

नाम है बस, और क्या ?

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