हम तो खाली बात के रसिया
इश्क़ न कर पाए
वो तो खाली बात के छलिया
इश्क़ न कर पाए
हमने ज़ुबां खोली तो उसमें
दिल भी बोल उठा
वो तो खाली चुप्पी साधे
मंद-मंद मुस्काए
अपने धड़कते दिल को हमने
क़दमों पे बिछा दिया
नाज़-ओ-अदा से फ़ेर के मुंह
वो हमको तड़पाए
कितना लंबा सफ़र तय किया
सांसें उखड़ गईं
आह ! न निकली, वाह ! न निकला
चार क़दम न आए ।।
1 comment:
छलावा कस बात का अच्छा लिखते हो.लेकिन हर चींज अपने नजरिए से ही मत देखा करो कभी दूसरों के नजरिए से भी कुछ लिखा करो.तो अच्छा लगेगा
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