मासूम चेहरे की अदाकारी पे मिटे
हम तो उस शोख की ऐयारी पे मिटे
क्या ख़बर थी, वो मेरा यार करेगा ऐसा
हम तो उस यार की दिलदारी पे मिटे
लब तो टकराए, न छू सके दिल मेरा
हम तो लब-ए-अफशां की फुसूंकारी पे मिटे
उसकी आग़ोश में सूझे है कहां फिर कुछ भी
हम तो उन रेशमी ज़ुल्फ़ों की गिरफ्तारी पे मिटे
वो चले जाते हैं, चले आए जैसे
हम तो उस हसीं शै की ख़ुमारी पे मिटे
किस अदा से वो बनावे है बातें कितनी
हम तो उस नादां की समझदारी पे मिटे ।
1 comment:
हम आप के लफ्जों की खुमारी पे मर मिटे...
अति धांसू....
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