Wednesday, June 18, 2008
रिश्ता यूं ही सही...
उनके जवाब आए, कुछ तो सुकूं मिला
लेकिन है उन जवाबों में अब भी बहुत गिला
आया भी जो जवाब तो पोशीदा इस तरह
हसरत थी दिल खुलेंगे, दिल ही नहीं मिला
तल्ख़ी भरे वो नक्श तहरीर में दिखें
बातों में था कभी जो, जवाबों में न मिला
क़तओं की चंद ज़िंदगी में, गुज़री तमाम उम्र
आया जो है जवाब, वो है इश्क़ का सिला
चलिए यही क्या कम है, अदावत भी है कबूल
रिश्ता यूं ही सही, वो अगर हमसे न मिला ।।
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1 comment:
रिशतों में औपचारिकताए नहीं होती...समझो तो बहुत कुछ है ना समझो तो कुछ नहीं.
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