ये बारिश का मौसम, ये भीगी हवाएं
ये नम आसुओं से हुई हैं निगाहें
ये मौसम गुलाबी, ये दिल की सदाएं
ये वीरानियां, सिर्फ तुम याद आए
फिज़ाओं में बिखरा हुआ है तरन्नुम
समां हो चला है ज़रा आशिकाना
घटाएं भी बल खा के इतरा रही हैं
कमी सिर्फ ये है कि तुम याद आए
तेरे देश में छोड़ आया जो मौसम
सुहानी थी हर शाम अब वो नहीं है
तेरी आग़ोश में सारे ग़म से परे था
अब हर एक ग़म में तुम्ही याद आए।
1 comment:
बारिश की बूंदें कुछ कहती हैं.... कुछ कहती है सूखी धरती... आपका ब्लॉग भी कुछ कहता हैं... और कविताएं भी....
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