इस वफ़ा का क्या सिला दूं जान तुझको
जान भी कमतर लगे है जान मुझको
मेरी हसरत और मेरी आरजूएं
सब हैं तेरे प्यार की सौग़ात मुझको
क़दमपोशी को सदा नज़रे बिछाए
इस वफ़ा ने ही सिखाया प्यार मुझको
इस नशेमन ने किया रुसवा तुझे जो
मरमरी हाथों ने फिरभी थामा मुझको
माफ़ करना ऐ मुझे जान-ए-वफ़ा
अब जो समझा हूं नहीं भूलूंगा तुझको ।
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