प्यार का मौसम....कितनी जल्दी बदल गया
अभी तो बादल छाया था....अभी बरस कर चला गया।
मौसम सा यूं.......कैसे रिश्ता बदल गया
पलभर में बिजली चमकी...और आसमां खुल भी गया।
एक रंग ही....रात का आलम बदल गया
ज़ुल्फ़ के साए सिमट गए....स्याह अंधेरा घुल भी गया।
आईना हूं मैं....हम-दोनों के रिश्तों का
इक तस्वीर छपी रहती थी...वो इश्तेहार अब उतर गया।
काश यूं होता......कितनी बार यही सोचा
मैने छोड़ दिया ग़ुस्सा....तो दिलबर मेरा रूठ गया।।
1 comment:
Well good one dear Sir.. :) Althogh I am way to far from poetry and all but I sincere appriciate your talent ...bravo !!!!!! keep it up :)
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