Thursday, May 29, 2008

कर लेना मुझको याद...



यकलख़ जो आ गई है मेरी याद शब्बा ख़ैर


कर लेना मुझको याद यूं ही तुम ब-वक्त-ए-सैर

मैं क्यूं कहूं कि कैसे रहूंगा तेरे बग़ैर

जा रहिए वां खुशी से मनाउंगा रब से ख़ैर

देवों के इंद्र के भी हैं छूटे सगे-औ-दैर

यां मैं पड़ा हूं तन्हा नहीं किस्सा ये कोई ग़ैर

क्यूं कर न सह पाऊं तेरा रस्म-ओ-राह-ए-ग़ैर

बेशक़, करो मुआफ़ हूं तंगी-ए-दिल पे ज़ेर

डूबा मैं गोकि खींचा था उसने, न फ़िसले पैर

दिल को है फ़िरभी दोस्त, अक्ल से अजब सा बैर।।

No comments: