Friday, May 23, 2008

दो पल



आओ याद कर लें बीते पल, आख़िरी बार


बैठकर बस पल दो पल, फ़िर हो जाना जुदा

पढ़ लें एक-दूजे के नयनों को, आख़िरी बार

बैठकर बस पल दो पल, फ़िर हो जाना जुदा।

तुझे याद है वो शाम

मेरी एक झलक को, गुज़री थीं मेरे सामने से

मुझे आज भी याद है वो सुबह

एक बहाना लेकर आया था मैं मिलने को तुझसे

याद कर लें वो शामें, वो सुबहें, आख़िरी बार

बैठकर बस पल दो पल, फ़िर हो जाना जुदा ।

दिनभर की थकन के बाद मेरे लिए तुम्हारा वो जतन

एक-एक चीज़ मेरी पसंद की तुमने बनाई थी प्यार से

फ़िरभी ठिठका था ना आने को, थोड़ा सा मेरा मन

क्या आज की हक़ीक़त से...या होने वाले प्यार के अहसास से

सोच लें सब गत-आगत, आख़िरी बार

बैठकर बस पल दो पल, फ़िर हो जाना जुदा ।

तुम्हारी पायलों की रुनझुन से बढ़ती धड़कने

और उन्हें अपने ही मरमरी हाथों से थामना

सारी खुशियां लेकर आई थीं तुम मेरे सिरहाने

एक बुझती हुई लौ को दी थी रौशनी अपने चेहरे सेदेख लें वो रौशनी, आख़िरी बार

बैठकर बस पल दो पल, फ़िर हो जाना जुदा ।

मेरे ख्वाबों को अपनी आंखों में सजाकर

एक अहद के साथ दूर हुई थीं तुम मुझसे

उन ख्वाबों के हक़ीक़त में बदलने का इंतज़ार

थाम के सांस कर रहा हूं कब से

सुन लो इन रुकी हुई धड़कनों को आख़िरी बार

बैठकर बस पल दो पल, फ़िर हो जाना जुदा ।

अब न दिल है, न धड़कन, न कोई इंतज़ार

बीती यादें, मायूस जिस्म और मेरी हार

कट गए दो पल भी, हो गए जुदा सरकार

ता उम्र का रोना मेरा हिस्से आया है हर बार ।

1 comment:

amit said...

sab padh lia...utkrist rachnae thi...wah wah kavi ki kalpana to dekhie..jannat ko jahhanum bana dia pal me hi..(pol -khol hai)..khair blog me betal ki tasvir badal lijie..baki sab thik hai..kyoki aap betal ki tarah nai..vikram ki tarah lag rahe hai.