Friday, April 25, 2008

परिवर्तन


जब बदलेंगे मूल्य

बदलेंगे कुछ इस तरह

कि आज के बदले हुए मूल्यों में भी दिखेगा बदलाव

वापस किसी दकियानूसी समाज में नहीं

एक नए और बेहतर समाज में जाकर रुकेगा ये परिवर्तन चक्र।

यह क्षणिक ठहराव ही दिखा देगा उस समाज का अक्स

जहां होगी

नए ज़माने की सच्चाई, निश्छलता, दृढ़ता

और होगा कल का उत्साह, विस्तार व प्यार

ऐसा नया ज़माना जिसमें होगी छाप

हर काल की सच्चाइयों की, अच्छाइयों की।

क्योंकि, सच में

इस बीच की पीढ़ी ने मूल्य बदले नहीं बिगाड़े हैं।

परिवर्तन तो सृष्टि का नियम है

फिर वो कैसे हो सकता है विध्वंसात्मक

नहीं ! विकृति ही है नकारात्मक

तो हे विकृति के नायक, बीच की पीढ़ी के लोग, आज के काल

तुम जो बिगड़े बैठे हो

लाओ थोड़ा सा बदलाव

देखो बदलकर अपनी विकृत चाल

और देखो,

देखो कि सब-कुछ

सब-कुछ कितना सीधा है, सादा है, प्यारा है।।

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