Friday, April 25, 2008

मैं और मेरा साया


मिरे साथ रहता था साया हमेशा

मगर इन दिनों हम अलग हो गए हैं

उसे ये शिकायत थी मुझसे

कि उसे मिटाने की ख़ातिर ही मैं यूं

अंधेरों में चलता हूं

ताकि वो मेरा तआकुब न कर पाए, लेकिन

मुझे ये शिकायत थी, मैं रौशनी में

अकेला भी चल सकता था

अंधेरे के जिस वक्त

मुझको ज़रूरत थी अहबाब की

वो ग़ायब था

उसका निशां तक नहीं था

मिरे साथ रहता था साया मिरा

शरीक-ए-हयात और साथी मिरा

मगर इन दिनों हम अलग हो गए हैं।।

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