प्यार और प्रेमिका के लिए मशहूर नाटककार शेक्सपियर की ताल (शायद ख्वाब में जीने वाले आज के युवाओं का बुख़ार सही तरह से डायग्नोज़ हो पाए)
'' मेरी प्रेमिका की आंखें सूरज जैसी नहीं हैं...मूंगा भी उसके होठों से ज्यादा रंगीन है....बर्फ भी उससे ज्यादा श्वेत है और काले बादलों का रंग भी उसके बालों से ज्यादा गहरा है....गुलाब भी उसके गालों से ज्यादा कोमल है...लेकिन फिरभी उसकी सांसों की महक मुझे इन सबसे अच्छी लगती है। मैं उसके चेहरे को पढ़ सकता हूं...मुझे उसमें नज़र आता है मेरे लिए समर्पण और वह प्रेम रस जिसके लिए मैं बरसों से प्यासा था। मुझे उसकी आवाज़ में संगीत की मिठास लगती है। मैने कभी ईश्वर को नहीं देखा, लेकिन मैं अपनी प्रेयसी में उसके दर्शन कर पाता हूं। जब वो ज़मीन पर पैर रखती है..ऐसा लगता है मानो स्वर्ग से उतर रही हो। हो सकता है यह सब मेरी कल्पना हो, लेकिन मैं उससे प्रेम करता हूं यह सच्चाई है।। ''
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