उसका ख़त
जो शुरू होता था 'प्यार' से
प्यार जो जगाता था अपनापन
और जोड़ देता था मुझे सीधे मेरे यार से
फ़िर शुरू होता था सिलसिला
उसकी नाराज़गी के दौर का
जहां होती थी सिर्फ नाराज़गी
कड़ुवाहट का अंश कभी न मिला
वो ख़त
ख़त्म होता था एक कशिश के साथ
और दिलाता था मुझे एहसास
कि लिखना है उसे एक ख़त मीठा सा
आहिस्ता-आहिस्ता बन गया वो प्यार
महज़ एक सामान्य सा अभिवादन
और अंत एक बेजान रस्म अदायगी
फ़िर एक दिन अचानक
शब्द और शायद रिश्ते भी गए ठहर
बदल गया मिजाज़, पूरा का पूरा आलम
वो मेरा यार, हो गया मुझसे ग़ैर
आज मिला उसका ख़त
शुरुआत से ही 'कैसे हो' का प्रश्न दागता
प्रश्न या अभिवादन ? क्या कहें
था इसमें मेरे यार का दिल भी झांकता
जहां सिमट गया था दायरा मेरे वास्ते
भटक गए थे मेरी ओर आने के हर रास्ते
और अंत में एकदम ख़ाली
मेरी ही तरह बिल्कुल एकाकी-तुम्हारी अनामिका
ऐसा क्यूं
हमारे रिश्तों को देकर प्यारा सा नाम
यूं आसमां से ज़मीं पर गिराया क्यूं
कोई तो सबब होगा
इस बात का, तुम्हारे अंदाज़ का
अब तो सिर्फ अंदाज़े पर ही टिकी है उम्मीद
किसी रोज़ बदलेगा वो यूं
पा सकूंगा मैं फ़िर वही शुरुआत
तुम्हारा ख़त प्यार भरा
अंत तक प्यार के साथ ।।
13 comments:
bahut achchi rachna.....
अब तो सिर्फ अंदाज़े पर ही टिकी है उम्मीद
किसी रोज़ बदलेगा वो यूं
पा सकूंगा मैं फ़िर वही शुरुआत
तुम्हारा ख़त प्यार भरा
अंत तक प्यार के साथ ।।
वाह!! बहुत सुन्दर रचना..बधाई स्वीकारें।
***राजीव रंजन प्रसाद
www.rajeevnhpc.blogspot.com
www.kuhukakona.blogspot.com
वाह!!
बहुत खूब!!
..............suparb
purana pyar hai
purbaiya chalegi
to dard dega
ahsasat to yahi kahte hai lino ke
mit gay teri ummido ke
harf magar
khato se tere, tere jism
ki khusbu na gai
mirza
beete dino kavi neeraj ko patni shok ho gaya
neeche inki kavita dekh yaad aaya ki aapko bata du
बेहद खूबसूरत रचना
जयंत जी
-यार की ऐसी नाराज़गी तो हर दिन झेलने को जी चाहता है जिसमें कड़ुवाहट का अंश न मिला हो।
-सही जिक्र किया आपने 'कैसे हो' प्रश्न नहीं अभिवादन ही बन गया है।
-शुरू से अंत तक एक प्यार भरा खेत...
एक नहीं कई प्यार भरे खत कभी, नहीं हर दिन मिलें आपको यही तमन्ना है।
why did u give up writting
kuch to vajah rahi hogi, yu hi koi bewafa nahi hota .......aisa pyar sir ankho par jo dil ko dhadakana sikha de ...........bahut khush naseeb hai aap... jo aapne kabhi ek pal k liye hi sahi pyar ko mahsus to kiya.......shukriya us premi ka jisne aapko paak ,everlasting ehsaas se joda ......kyo ki pyar ka ek pal hi jeene ki vajah ban jaata hai ......
sir aap to bahut achcha likhte hai .kitni saadagi ,dard ,akelapan aur pyar samete hue hai ye khat .shayad mai samajh bhi nahi sakti .
lata
अच्छी रचना है। काफी दिनों से कोई नई पोस्ट नहीं आई? लिखना छोड़ दिया क्या?
सर नई रचना का इंतज़ार कर रहा हूं, लम्बे समय से लिखा नहीं आपने कुछ
bahut thik....bahi....lekin kabhi tedibaat par bhi gaur kiya karo.
Superb sir
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