मैने कभी नहीं सुना-तुम बहुत अच्छे हो
बस देखा उसकी झिलमिलाती आंखों में बसे समर्पण को
और अपने प्रति इस समर्पण को ही मान लिया
कि हां, उसकी नज़रों को मैं भाता हूं
मैने कभी नहीं सुना-तुमसे दूर नहीं रह सकती
बस देखा हर रोज़ दरवाज़े पर उसे इंतज़ार करते
उसकी सूनी आंखों का इंतज़ार...
जो मुझे आते देखकर थोड़ा सा झुक जाती थी
उसकी इस अदा को मैंने समझा शरमाना
और मान बैठा, उसका इंतज़ार मेरे वास्ते ही था
आज अचानक वो मिली मुझसे एक नए अंदाज़ में
पूरी सज-धज के साथ
उसकी आंखें जो हमेशा मुझसे बात करती थीं
आज बहुत बेबाकी से टिकी थीं मुझ पे
मानों दे रही हों उलाहना-तुमने बहुत देर कर दी
या कि तुम कमज़ोर थे
तुम जो भी हो
अब ना ही मेरे लिए अच्छे हो
ना ही अब मुझे तुम्हारा इंतज़ार है
और
वो बेबाक़ नज़रे घूमीं पूरी शोखी के साथ
वो नज़रे मुझसे करा रहीं थीं तार्रुफ़
इनसे मिलिए
ये हैं मिस्टर....।।
3 comments:
may i know who is she.who is,was part of you.anyways idea of expression is very good
वो बेबाक़ नज़रे घूमीं पूरी शोखी के साथ
वो नज़रे मुझसे करा रहीं थीं तार्रुफ़
इनसे मिलिए
ये हैं मिस्टर....।।
bahut badhiya abhivykti. likhate rahaiye. dhanyawad.
बहुत बढिया बेताल जी। बधाई।
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